माया मिली न राम
वो चला देख इन्सान अधें नगर की गलि
बेसुध अपनी धुन में दुनियाँ बाहें पसारे खडी
सिने में ले जुनून जब तक उमर न ढली
पैसे को माना खुदा चाहत रही हमेशा बढी
माथे पर लिखा है जो बस उतनी ही सबको मिली
फिर भी न समझा इन्सान
माया में ले लेता जान
अपनी राहों से अनजान
खाते रहा अपनी पहचान
पहुँचा जब वो पच्चतर में
आधा शरीर जब हो कबर में
पुछे खुद से यही बार बार
क्या मिला मुझे इतने साल
सहमा, तनहा अकेला
छोड़ दिया दुनिया का मेला
शर्माया, पछताया, घबराया
अब सर पिटे सुबह शाम
माया मिली न राम
सिमटा है मानव का चित्र
संसार है यहाँ विचित्र
कोडियो में बिकता चरित्र
कोर न शत्रु न मित्र
नोटो का मोहताज भविष्य
धन दौलत ही है लक्षय
पार कर परीक्षा हो जा पवित्र
माया की जंजीर और बेडियाँ
लोभ में तृप्त मजबुरियाँ
क्रोधित, हताश, बेहाल
पुछे खुद से यही बार बार
क्या मिला मुझे इतने साल
सहमा तनहा अकेला
छोड़ दिया दुनिया का मेला
शर्माया, घबराया, पछताया
अब सर पिटे सुबह शाम
माया मिली न राम
पसन्द आए तो शेयर करे
धन्यवाद
वो चला देख इन्सान अधें नगर की गलि
बेसुध अपनी धुन में दुनियाँ बाहें पसारे खडी
सिने में ले जुनून जब तक उमर न ढली
पैसे को माना खुदा चाहत रही हमेशा बढी
माथे पर लिखा है जो बस उतनी ही सबको मिली
फिर भी न समझा इन्सान
माया में ले लेता जान
अपनी राहों से अनजान
खाते रहा अपनी पहचान
पहुँचा जब वो पच्चतर में
आधा शरीर जब हो कबर में
पुछे खुद से यही बार बार
क्या मिला मुझे इतने साल
सहमा, तनहा अकेला
छोड़ दिया दुनिया का मेला
शर्माया, पछताया, घबराया
अब सर पिटे सुबह शाम
माया मिली न राम
सिमटा है मानव का चित्र
संसार है यहाँ विचित्र
कोडियो में बिकता चरित्र
कोर न शत्रु न मित्र
नोटो का मोहताज भविष्य
धन दौलत ही है लक्षय
पार कर परीक्षा हो जा पवित्र
माया की जंजीर और बेडियाँ
लोभ में तृप्त मजबुरियाँ
क्रोधित, हताश, बेहाल
पुछे खुद से यही बार बार
क्या मिला मुझे इतने साल
सहमा तनहा अकेला
छोड़ दिया दुनिया का मेला
शर्माया, घबराया, पछताया
अब सर पिटे सुबह शाम
माया मिली न राम
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